UPPSC Big News : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के द्वारा प्रवक्ता के लिए निकाले गए विज्ञापन और भर्ती पर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से टेट की अनिवार्य न किए जाने के संदर्भ में जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पूछा है कि जब नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन यानी NCTE ने इसे अनिवार्य कर रखा है तो हाल में आयोजित इस भर्ती में क्यों नहीं शामिल किया गया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता एवं न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने अखिलेश व अन्य की याचिका पर अधिवक्ता तान्या पांडेय दिया है।
जाने क्या है पूरा मामला
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के हाल ही में हुई राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता पदों की भर्ती में टीईटी अनिवार्य न किए जाने के संदर्भ में जानकारी मांगी है। अधिवक्ता तान्या पांडेय ने तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC ) ने जीआईसी और जीजीआईसी में कक्षा 6 से 10 तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया है, लेकिन इसमें टीईटी (Teacher Eligibility Test) को पात्रता के रूप में शामिल नहीं किया गया है। जबकि एनसीटीई की 2010 की अधिसूचना के अनुसार, कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए टीईटी अनिवार्य है। इसलिए, विज्ञापन में टीईटी को अनिवार्य किया जाना चाहिए था क्योंकि यह भर्ती कक्षा 6 से 10 तक के शिक्षकों के लिए है। NCTE के अधिवक्ता वैभव त्रिपाठी ने इस पर सहमति जताई।
अधिवक्ता ने बताया अर्हता तय करना सरकार का काम
इस मामले में , आयोग के अधिवक्ता पीके रघुवंशी का कहना है कि आयोग केवल भर्ती प्रक्रिया पूरी करता है , अहर्ता यानी एलिजिबिलिटी तैयार करना सरकार का काम है।
अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी
हाई कोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने की निर्देश दिए हैं, इसकी अगली सुनवाई 21 अगस्त को तय की गई है।